Wednesday 29 July 2015

प्रिये



कोइ दर्द बडा रहा है, लगता है जख्म गहरा रहा है,
वो शख्स कडा रहा है, लगता है काफी वक्त से भरा पडा है।
केसे समजाउ यारा तुजको, हर वक्त सजा रहा है मुजको,
महेसुस कर मेरी आरझु को, हर वक्त तरस रही है तुजको।
ये बारीस क्या चीज है हमदम, हर मोसम जला रहा है मुजको,
खंजर के घाव क्या चीज है प्रिये, ले दिल से रूबरू करादु तुजको।
                                     मोनिका पटेल...

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